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छत्तीसगढ़ के इको लैब में आग की लपटें : भैरव पहाड़ में 24 घंटे से भी ज्यादा समय से धधक रही आग, लाखों पेड़-पौधे झुलसे, सवालों के घेरे में महकमा

छत्तीसगढ़ के इको लैब में आग की लपटें : भैरव पहाड़ में 24 घंटे से भी ज्यादा समय से धधक रही आग, लाखों पेड़-पौधे झुलसे, सवालों के घेरे में महकमा
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By NPG News

जशपुर. इको टूरिज्म को बढ़ावा देने और पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य के तैयार किया गया इको लैब पिछले 24 घंटे से धू धू कर जल रहा है. लाखों पेड़ पौधे झुलस गए हैं. वनस्पतियां नष्ट हो गई हैं. वन अमला जुटा हुआ है, लेकिन आग पर काबू नहीं कर पाए हैं. अब बारिश से आग बुझने की उम्मीद है. इको लैब की आगजनी से वन महकमा कठघरे में है.

जिले के भैरव पहाड़ में प्रसिद्ध भैरव गुफा है. इसका पुरातत्विक के साथ धर्मिक और आध्यात्मिक महत्व भी है. इको टूरिज्म को बढ़ावा देने और पर्यावरण को संरक्षण देने के लिए भैरव पहाड़ के 5 किलोमीटर के दायरे को घेरकर आदर्श ग्राम सोगड़ा के जंगल में इको लैब स्थापित किया गया था. इसका उद्देश्य इस क्षेत्र का संरक्षण कर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करना था. सर्वेश्वरी समूह के अध्यक्ष संत गुरुपद संभव राम के मार्गदर्शन पर संभाग के वन विभाग के पूर्व सीसीएफ केके बिसेन ने यह इको लैब डेवलप किया था.

हालांकि, भैरव पहाड़ में इको लैब की योजना बनने के बाद से ही लागू करने में लापरवाही बरती गई. पहले 11 किलोमीटर के दायरे में घेराबंदी की योजना थी, जिसे घटाकर 5 किलोमीटर कर दिया गया. इसके बाद में इको लैब के अन्य कामों को रोककर भैरव पहाड़ प्रवेश द्वार पर प्राचीन जनजातियों की कला वीथिका स्थापित कर दी गई. अब आगजनी में भी यही लापरवाही सामने आई है. बड़े और काफी महत्वपूर्ण जैव-विविधता वाले संरक्षित जंगल भैरव पहाड़ में लगी आग को काबू में करने के लिए डीएफओ और दर्जनों वन विभाग कर्मचारी लगातार कोशिश में लगे हुए थे, लेकिन तेज हवा और सूखे पत्तों की वजह से आग को काबू नहीं पाया जा सका है.

यह पहली घटना नहीं है. जिले में दो सौ से अधिक जगहों पर आग लग चुकी है. जशपुर डीएफओ जितेंद्र उपाध्याय के मुताबिक सभी वन क्षेत्र के लिए जिला प्रशासन की सहायता से एक फायर वाचर की नियुक्ति की गई है. भैरव पहाड़ में एक दर्जन से अधिक लोग आग को काबू करने की कोशिश में लगे हुआ हैं.

1000 एकड़ को विकसित करने की योजना

इको लैब के रूप में करीब एक हजार एकड़ क्षेत्र को विकसित किया जा रहा है. जिसमें स्थानीय वन समितियों के द्वारा ही विशेष कार्य किया जाना है. इको लैब को विकसित करने यहां अवैध वनों की कटाई किसी भी रूप में नहीं होगी.

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